गुरुवार, 25 दिसंबर 2008

बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे


अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने शहीद एटीएस चीफ हेमंत करकरे की शहादत पर सवाल उठाकर भाजपा,विशव हिन्दू परिषद और उसके जैसे तमाम हिंदूवादी संगठनों को जैसे बैठे बिठाए एक मुद्दा दे दिया। तमाम जगह उनके पुतले जलने लगे और आरएसएस ने एक कदम आगे बढ़ कर कहा कि यूपीए में जिहादी तत्व मौजूद हैं जिस वजह से सरकार आतंकवाद के खिलाफ नरम रवैया अपनाए हुए है।मुस्लिम संगठन भी इस में पीछे नहीं रहे मुस्लिम फार सेक्यलर डेमोक्रेसी ने अंतुले से इस्तीफे की मांग कर डाली। शहीद करकरे की शहादत या किसी भी देशभक्त की शहादत पर कोई अगर सवाल खड़े करता है तो उसकी जितना विरोध किया जाए उतना नाकाफी है॥ लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या अंतुले ने जो कहा उसे तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया..क्या अंतुले ने करकरे की शहादत पर सवाल उठाए या फिर जो परिस्थति बनी थी उस पर..उन्होंने कहा था कि करकरे को ताज या ओबेराय पर होना चाहिए था या फिर किसी ऐसी अंजान जगह जहां आतंकवादी आराम से हमारे तीन जांबाज़ अफसरों को निशाना बना लेते हैं। आखिरी वक्त में उन्हे किस का आदेश मिला था।अंतुले का करकरे की शहादत पर सवाल पैदा करने से किस का फायदा था..क्या इस देश के मुसलमानों का...ज़ाहिर है नहीं क्योंकि बाटला हाऊस एनकाउंटर पर उठे सवालो नें मुस्लमानों को ही सवालों के घेरे में ला दिया था कि इन्हें तो हर चीज़ में मुस्लमानों के खिलाफ राजनिति नज़र आती है.. फिर चाहे वो शहीद की शहादत हो या कुछ और....यानी अगर आप चुपचाप रहते हैं... हर बात का समर्थन करते हैं तो ठीक और अगर आपने सवाल उठाए तो आप को भी देशद्रोहियों की जमात में खड़ा कर दिया जाएगा....यानी लोकतंत्र का दोहरा मापदंड, क्योंकि सवाल लोकतंत्र की आत्मा होते हैं ...भारत में जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है हर आदमी को अपनी बात,अपने विचार रखने का पूरा हक़ है...और अगर आप अपने सवाल नहीं उठा पाए...अपनी आवाज़ बुलंद नहीं कर पाए तो ये लोकतंत्र को... प्रजातंत्र को छोड़कर सबकुछ है.....कमी लोकतंत्र में नही है कमी है उसको मानने वालों में..उसका पालन करने वालों में...बुराई विरोध में नहीं है ..गलत बात का आप विरोध करिए लेकिन यह ख्याल भी रहे कि लोकतंत्र की आत्मा का खून न हो। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ साहब का एक शेर बरबस ही याद आ गया.....

बोल कि लब आजा़द हैं तेरे
बोल ज़बान अब तक तेरी है।
तेरा सुतवां जिस्म है तेरा
बोल कि जान अब तक तेरी है।